THE GREATEST GUIDE TO #ISLAMIC #SABAQ #DEEN #KA

The Greatest Guide To #islamic #sabaq #deen #ka

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जनरल सेक्रेटरी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

हजरत मौलाना राबेअ हसनी नदवी दामत बरकातहुम

आज जबकि मुसलमानों में मनमानी जीवन की विभिन्न आदतें प्रवेश कर गई हैं। जिनके कारण उम्मत-ए- मुस्लिमा व्यवहार एवं आचरण की ऊँचाई की जो विशेषताएँ हैं, वह अपने स्थान से हट गई है और दूसरों की विभिन्न बिगड़ी हुई विशेषताएँ भी मिश्रित हो गई हैं, इनसे मुसलमानों की ही नहीं इस्लाम की भी बदनामी हो रही है। इसलिए की मुसलमानों की इन बिगड़ी हुई आदतों और रस्मों को इस्लाम ही का नमूना समझा जाने लगा है। और इस प्रकार हम स्वयं इस्लाम को बदनाम करने का स्रोत बन रहे हैं। इसको दूर करना अति आवश्यक है, ताकि विभिन्न धर्मों एवं संस्कृतियों की इस मिश्रित आबादी में इस्लाम की अच्छाई और मानवता की जो विशिष्टता है उसको प्रमाणित कर सकें।

सेक्रेट्री ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड

इस्लाम में एक से ज्यादा निकाह की इजाजत अद्ल से मशरूत है

इस्लाम में दीनी निर्देश केवल इबादात (पूजा पाठ) के विशेष रूप में ही सीमित नहीं रखे गए हैं। बल्कि वह मानव जीवन के अन्य पहलुओं के लिए भी दिशा निर्देश रखते हैं। और इस्लाम में शरीयत उन्ही निर्देशों का नाम है। इस्लाम में इबादत का मतलब है जीवन के समस्त पहलुओं में अपने परवरदिगार अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की आज्ञाकारी। और यह आज्ञाकारी जीवन के उन पहलुओं में भी करनी है जो बज़ाहिर देखने में दुनिया के लाभों से संबंध रखती है। उदाहरणार्थ वैवाहिक जीवन, सामाजिक व्यवहार एवं आर्थिक एवं सामाजिक आवश्यकताएं। और इसी के साथ साथ रस्मो रिवाज। एक मुसलमान को उन सब पहलुओं में यह देखना होता है कि उनमें से कोई कार्य अल्लाह ताआला के आज्ञा के विरुद्ध ना हो।

अल्लाह ने हमें जिन ने’मतों से नवाजा है, उनमें सबसे बड़ी ने’मत यह है कि उसने हमें मुसलमान बनाया है, हमें अल्लाह तआला की म’आरेफत अता की गयी है। हमें इस कायेनात के खालिक व मालिक और इसके परवरदिगार से तअल्लुक का एजाज बख्शा गया है। हमारा सर एक ऐसी जात के सामने झुकता है, जिसके हुक्म से ने’मतें हासिल होती हैं, और मुसीबतों से check here नजात मिलती है। हमारी जबीने बंदगी को यह एजाज हासिल है कि यह दुनिया की किसी भी मखलूक के सामने नहीं झुकती। हमारे पास अल्लाह की भेजी हुई शरीयत एक नुक्ता की तब्दीली के बगैर मौजूद है, इसी की रौशनी में हमें जिंदगी का सफर करना है, और यह ऐसा कानून है जो इंसानी जरूरतों और मसलेहतों से पूरी तरह हमआहंग है।

(सेक्रेटरी अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)

ملک کا دستور ہر مذہب کو اپنی پسند کی زندگی گزارنے کا حق دیتا ہے۔

यकीन कीजिए दीनी फिक्र और मजहब से सच्चा ईश्क और इसका अनुसरण हिदायत की शाहराह है, रूहानी कदरों को अपने अंदर समू लेना जिंदगी की मे’अराज है, और ऐसी ही जिन्दगी के लिए “लाखौफुन अलैहुम वलाहुम यहजुनून” की बशारत है। हम सब जो इस बशारत के तलबगार और उम्मीदवार हैं, रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हिदायतों को प्रत्येक घर में पहुंचादें और प्रत्येक दिल में उतारें, तो सारी बिगड़ी बन सकती है। हम नफ्स का भी विवेचना करें, समाज का भी मुहासेबा करें। इस्लाहे नफ्स भी करें और इस्लाहे मुआशेरा भी, और यह भी बताते चलें कि “हुब्बे दुनिया रा’से कुल खतिया” (दुनिया की मुहब्बत प्रत्येक गलती की जड़ है) और दिलों में उतारते चलें कि जब भी दुनिया की मुहब्बत और मौत का खौफ होगा, वह समय होगा हम पर उम्मतों के टूट पडने का !

an intensive training course on the rules pertaining to the correct recitation on the Qur’aan (Tajweed) to achieve a strong Basis to the reading through from the Qur’aan (tilaawah).

तहरीके इस्लाहे मुआशेरा अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

Kalma-e-taiyyiba sirf musalmanon ka kalma nahi, balkeh ye tamam insaniyat ke liye najat ka kalma hai, is ke pahle Juzw mein is haqiqat ka aiteraf hai keh insano ka ma’abud ek hi hai, wahi khuda hai, wahi qadir e mutlaq hai aur isi ke ishrah par kayenaat ka ye poora nizam jari-w-sari hai.

तहरीके इस्लाहे मुआशेरा अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

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